इबादत - तबिष खैर
बख्श दो मुझे,
एक नन्हा सा बच्चा
जिसे छुपा सकूं मैं
जब मौलाना घर आएं,
जिसे छुपा सकूं मैं
जब मौलाना घर आएं,
नमाज़ को
जब हवाई जहाज़ हों -
जब हवाई जहाज़ हों -
शिकारी परिंदे।
छोटा सा कोई,
अंगूठे से भी छोटा, जिसे
जेब में रख,
छोटा सा कोई,
अंगूठे से भी छोटा, जिसे
जेब में रख,
भाग सकूं।
तबिष खैर
अनुवाद - दिवाकर एपी पाल
तबिष खैर
अनुवाद - दिवाकर एपी पाल
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