ध्रुपद धोखेबाज - मलय रॉय चौधरी


ध्रुपद धोखेबाज! 
उतर आओ पालकी से!
गुलामी छोड़ दी है मैंने
एक उबाल उमड़ रहा है, 
जिस्म में
कमर से गर्दन तक।

यह कोई मुफ़्त लंगर नहीं,
जहां चीनी थाल लिए, 
करो तुम
अपनी बारी का इंतज़ार।

ओ अनछुए धन! 
आओ लिए अपनी साबुत मादकता
बेरोजगारों के मध्य, 
सब्जपोश तितली की तरह;
पैराशूट से झूलती, 
घंटियों का शोर, 
और
आरक्षियों द्वारा नज़रबंद, 
और 
मेरे पत्रों का दोषान्वेषण।

स्वार्गिक स्वामी - 
बेड़ियों में कब तक?
उठ खड़ा होऊंगा, 
चारों पैरों पर, 
और
तोड़ दूंगा तुम्हारी गर्दन
चढ़, 
मक्के के ढेर पर, 
लहराऊंगा
अपने मेंहदी-सन केश, 
भूसे के मंच से, 
ओह,
ध्रुपद धोखेबाज! 
आ जाओ खुद से
वर्ना तुझे दिखाऊंगा मैं - 
नर्क - द्वार!

              ध्रुपदी घोच्चोर - मलय रॉय चौधरी
                अनुवाद - दिवाकर ए पी पाल

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