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Showing posts from May, 2011

बदलाव की बयार - चित्रयवनिका

बदलाव की बयार - शरनाज़ इसे बनने दो वह शक्ति जो बहती है शान्ति के आँचल में. एक बंधन जो प्रहरी है, मानवीय भाईचारे का, एक मोक्षक, सम्वेदना-वाहक प्रेम-दूत मानवता का रक्षक, स्वागत है! उस बदलाव की बयार का! बदलाव की बयार - एवरिल हो रही है, पौधों मे फ़ुसफ़ुसाहट; एक नई शुरुआत की, हमारे अन्तर्मन की कामना, सच की तलाश की, एक संज्ञान का जागरण प्रत्यावर्तन हेतु धरती की पुकार एक अंदरुनी चाहत जो है सीमाओं से अनभिज्ञ.. बदलाव की बयार - चित्रयवनिका स्वागत है! उस बदलाव की बयार का! पौधों में, एक नई शुरुआत की सरसराहट; एक शक्ति, जो बहती है शन्ति के परों तले: एक जागृती बचाव हेतु, धरती की पुकार. प्रस्तुत है अब! एक रक्षक सम्वेदना-वाहक सत्यार्थी प्रेम-दूत; मोक्षक: एक अंदरुनी कामना अंतर्मन में रोपित; सीमाओं से अनभिज्ञ एक प्रहरी बंधन मानवीय भाईचारे का. अनुवादित: दिवाकर ए पी पाल Dated 29 May, 2011

शब्द-शक्ति - चित्रयवनिका

शब्द - शक्ति - शेरनाज़ ( पुणे , भारत ) तुम्हारे अनकहे शब्द मेरी आत्मा की बंद किवाडो पर जोरों की दस्तक देते हैं. उनके नि:शब्द आक्षेप मेरे कानों के चुनित वधिरपन को नष्ट कर देते हैं. उनकी निर्बाध शक्ति मेरे अस्तित्व के पटल को लाचार कर देती है. शब्द - शक्ति - एवरिल ( इज़रायल ) शब्द- कितने छलशील है! सत्य की परिभाषा को बदल घृणा एवं असहिष्णुता स्थापित कर दें. फ़िर भी कभी, जब वे उत्पन्न हों एक प्रेम-सम्पन्न स्रोत से बदल के रख दें संसारों को; लिखित-अलिखित, भाषित: या तो एक श्राप, या फ़िर एक वरदान.. शब्द - शक्ति - चित्रयवनिका शब्द-कितने छलशील हैं! बिन कहे सत्य की परिभाषा बदल दें; आत्मा की बंद किवाडों पर जोरों की दस्तक दें. उनके नि:शब्द आक्षेप घृण एवं असहिष्णुता पैदा करें; लिखित-अलिखित, भाषित: किसी के कानों के चुनित वधिरपन को नष्ट कर दें. एक श्राप की तरह किसी के अस्तित्व को लाचार कर दें. फ़िर भी, जब वे उत्पन्न हों, एक प्रेम सम्पन्न स्रोत से: उनकी निर्बाध शक्ति एक ऐसा वरदान है जो दुनिया बदल सके.. - Shernaz (Pune) & Avril (Jerusalem) अनुवादित:

किन्नर कहता है: तबिष खैर

किन्नर कहता है: यदि लज्जा एक कला है,  तो निर्लज्जता एक करतूत:  उद्देश्य तो दोनों का ही  स्व-मात्र की रक्षणा है.  तुम सीखती हो,  हया से नजरें झुकाना;  हम नजरों की तीक्षणता से  बेहयाई का रोष दर्शाते हैं.  उस देश में,  जहाँ नव-वधुएँ  हया की मूरत हैं;  वहीं हम जैसी भी हैं,  जिनकी बेशर्मी,  प्रहार-सम सूरत है.  उनकी कला की ज़रुरत  दूसरों द्वारा उनका भविष्य-निर्धारण;  और यही वह वजह है;  जिसे छुपाते हैं हमारे कार्य.  हम खडे हैं, आमने-सामने,  हम खडे हैं, पीठ से पीठ लगा के:  वो सहती हैं  उसी ’नियामत’ का प्रहार,  जिससे हम वंचित हैं.  जो हमें अलग करता है,  वही हमारी समानता है:  ये सनातन नियम है,  उस दुनिया का  जिसमें पुरुष की प्रधानता है..                         द हिजरा स्पीक्स  - तबिष खैर                           (The Hijra Speaks - Tabish Khair)                      अनुवाद: दिवाकर एपी पाल 

डर

शाम की धुंधली रोशनी की कसम, आने वाली हर रात से डरता हूँ. एक ढर्रे पर चल रही है ज़िन्दगी अर्सा बीत गया है यूँ ही; मैं किसी भी नई शुरुआत से डरता हूँ.. पौ-फ़टती हुई किरणें लाती होंगी उम्मीद का उजाला, मैं उम्मीद की किसी बात से डरता हूँ. रात के अन्धेरे में साया भी साथ नहीं होता; मैं अपने साये के भी साथ से डरता हूँ.. पास न है कुछ खोने को भी, पर खोने के एहसास से डरता हूँ. जो भी हों हालात मेरे; पर बदले हुए हालात से डरता हूँ.. डर-डर के जीता हूँ रोज़ यूँही मैं ज़िन्दगी की हार से डरता हूँ. मौत वो कैसी होगी ज़िन्दगी से अलग; मौत से लडकर, हर रोज़ मैं मरता हूँ.. मैं ज़िन्दगी के खयाल से डरता हूँ. और हर रोज़ एक नई मौत मैं मरता हूँ.. Dated: 15 May,2011

भोजपुरी: जेठ मा गडरिया

सोनवा के घाटवा ले, जाए है गडरिया; भेडन को हाँके-हाँके. भेडियन केहु जाने नाहीं रहिया ई कॉन बाटे; बलुआ ई भुईय़ाँ हई पियरा-धूसरा. खेतवा मे जोतेला सोंसे जुटले किसनवन मये; ई गडरिया करिहे का? लू-जेठ के महीना बा पूछी के हो इनका. भेडियन से बोले है गडरिया: " अगहन आई बिहान कोई दिन; फ़िरते दिनहू हमरा हो. दियरा के सूखल घसिया माहे काटब ई दुपहरा ".. Dated: 10 May,2011 For English translation, kindly click the below link: http://damaurya.blogspot.com/2011/05/shepherd-in-summer.html

चलो

मिल जायेगा .. और एक हसीन काफ़िला ... चलो ! काफ़िले बदलते रहे, आशियाना सिमटता रहा.. हसीन काफ़िले की ख्वाहिश लिए, य़े मुद्दई भटकता रहा.. दूर दरिया के किनारे ... आसमाँ .... करता है इशारे .. इन इशारों को पहचान, मुसाफ़िर! पा जायेगा अपना मुकाम... Dated: 02 May, 2011