रक्त-गीत - मलय राय चौधरी
अवन्तिका!
छापा पड़ा था, मेरे घर में,
आधी रात को, तुम्हे ढूंढते हुए
इसकी तरह नहीं, ना ही उसकी तरह,
और उनकी तरह तो बिल्कुल भी नहीं
तुलना-हीन:
इसकी, उसकी या किसी से भी
क्या किया है मैंने,
कावित्त के लिए,
धधकते, लावा उगलते ज्वालामुखी में प्रवेश करके?
क्या हैं ये?
क्या हैं ये?
घर की तलाशी का परिणाम
कावित्त का?
नशेमन भूरे बच्चे, पिता की टूटी अल्मारी से
कावित्त का!
पुराने बुँदिले बक्से को फ़ाड़कर
निकली हुई माँ की बनारसी साड़ीयाँ
कावित्त का!
साँसें दर्ज़ हैं,
जब्ती-सूची में
कावित्त का?
दिखाओ, दिखाओ मुझे,
और क्या क्या निकल आ रहा है?
कावित्त का!
शर्म करो;
लड़की द्वारा आधे-चाटकर
परित्यक्त लड़के! मरो, तुम मरो
कावित्त का!
लहरों को चीरती शार्क
चबा जाती हैं माँस और हड्डियाँ
कावित्त का!
कावित्त का!
एबी नेगेटिव सूर्य,
क्षुद्रांत की गाँठों से
कावित्त का!
कावित्त का!
अधीर पदचिन्हों मे सहेजे -
घुँटी रफ़्तार
कावित्त का!
कावित्त का!
मल-मूत्र से भरे कारा में
नाजुक तीखी-चमक
कावित्त का!
भँवरे के कंटकी पैरों से चिपका
सरसों का पराग
कावित्त का!
कावित्त का!
लावणी-सूखे खेत मे
गंदे लंगोट मे लिपटा एक भूखा किसान
कावित्त का!
कावित्त का!
लाशखोर गिद्धों के परों पर चिपके
सड़ते खून के छींटे
कावित्त का!
कावित्त का!
नाम द्वेषपूर्ण भीड़ में गुम
एक उष्ण शतक
कावित्त का!
कावित्त का!
तुम मरो, तुम मरो, तुम मरो,
आखिर मरी क्यूँ नहीं तुम?
कावित्त का!
कावित्त का!
मुँह में तुम्हारे झोंस दी गयी है आग,
तुम्हारे मुँह में है आग!
कावित्त का!
कावित्त का!
तुम मरो,
मर जाओ तुम, मर जाओ तुम
कावित्त का!
इसकी तरह नहीं, ना ही उसकी तरह,
और उनकी तरह तो बिल्कुल भी नहीं
कावित्त का!
कावित्त का!
तुलना-हीन,
इसकी, उसकी या किसी से भी
कावित्त का!
कावित्त का!
अवन्तिका, ढूंढने आए थे तुम्हे,
आखिर क्यूं नहीं अपने ही साथ ले गए वो!
- मलय राय चौधरी
अनुवाद: दिवाकर एपी पाल
- मलय राय चौधरी
अनुवाद: दिवाकर एपी पाल
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