नोटबुक

पड़े हैं,
बिस्तर के करीब
कई मोमबत्तियों के
पिघले टुकड़े -
माचिस की
अधजली तीलियाँ;
ये पूरी भरी हुई ऐशट्रे
और खाली
रम की बोतलें.


दर्ज़ हैं कई
उलझे ख़्याल -
दबे से जज़्बात.
खो चुके हैं
कितने मिसरे,
कितने ही हर्फ़
इन गुजरी रातों में.


अधूरी नज़्मों से
रंगे हैं
मेरी नोटबुक के पन्ने.

                (02-07-2020 )

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