चलो
मिल जायेगा ..
और एक हसीन काफ़िला ...
चलो !
काफ़िले बदलते रहे,
आशियाना सिमटता रहा..
हसीन काफ़िले की ख्वाहिश लिए,
य़े मुद्दई भटकता रहा..
दूर दरिया के किनारे ...
आसमाँ ....
करता है इशारे ..
इन इशारों को पहचान,
मुसाफ़िर!
पा जायेगा अपना मुकाम...
Dated: 02 May, 2011
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