खुशनुमा कत्ल
अक्स आइने में, अकेला नहीं है..
साथ मरदूद, गुलफ़ाम का कातिल भी है खड़ा..
कैसा ये जुर्म है, मरहूम और कातिल एक ही शीशे में हैं खड़े..
और गुस्ताखी की इन्तहाँ तो देखो,
एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराए भी जा रहे..
अजीब इत्तेफ़ाक है..
कातिल और कत्ली, साथ में हैं खड़े
और देखने वाले, मुबारकबाद हैं दे रहे!
dated: 25 June,2011
साथ मरदूद, गुलफ़ाम का कातिल भी है खड़ा..
कैसा ये जुर्म है, मरहूम और कातिल एक ही शीशे में हैं खड़े..
और गुस्ताखी की इन्तहाँ तो देखो,
एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराए भी जा रहे..
अजीब इत्तेफ़ाक है..
कातिल और कत्ली, साथ में हैं खड़े
और देखने वाले, मुबारकबाद हैं दे रहे!
dated: 25 June,2011
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