बदला मनुष्य - मलय रॉय चौधरी

खतित; धर्म-च्युत:

और ज़िहाद को मुखातिब। 

राजश्री-हीन, एक सम्राट

पतित स्त्रियाँ- हरमगामी। 

नादिर शाह से तालीमशुदा

तलवार को चूम, जंग को तैयार

हवा पर सवार घोडी;

मशालयुक्त मैं घुडसवार। 

टूटे-बिखरे जंगी शामियानों की तरफ़

बढता हुआ मैं। 

धू-धू जलते नगर

के दरमियान;

एक नंगा पुजारी-

शिवलिंग के साथ

फ़रार। 


            पलटा मानुश - मलय रॉय चौधरी 

                        (1985) 

            अनुवाद - दिवाकर एपी पाल 



Dated: 21 March, 2011

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