Undefined!!!!
भीगी है रात,
ऒस की बूँदों से.
रजनीगन्धा सी महकती चान्दनी..
नि:शब्द, स्तब्ध,
चाँद
अपनी ही धुन में;
झिंगुरों की बेज़ार सी ये तान.
सारा जहाँ सोया होगा ;
जागता हूँ मैं तन्हा क्यूँ .
जागता हूँ मैं तन्हा क्यूँ...
.Dated:20 November,2010
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