क्यूँ

इस दुनिया में
जिंदा क्यूँ हैं?
आज हमें बतलाए कोई।
इस दुनिया में
इंसां क्यूँ है
आज हमें समझाए कोई।


कल तक तेरी
हर बात पे हंसता था
आज मगर ये
रोना क्यूँ है
झूठे सपने क्यूँ आते हैं,
झूठे सपने क्यूँ आते हैं
सच हमें दिखलाए कोई,
सच हमें दिखलाए कोई।


इस दुनिया में
जिंदा क्यूँ हैं?
आज हमें बतलाए कोई।


किस्सों की तो बात नहीं थी
न ख्वाबों का अफसाना था
फ़िर क्यूँ बेकस, इन रातों में
बिन बातों का जगना क्यूँ है।
रोना क्यूँ है, आखिर आज मुझे यूँ
रोना क्यूँ है।


इस दुनिया में
जिंदा क्यूँ हैं?
आज हमें समझाए कोई
आज हमें बतलाए कोई।

Comments

Popular posts from this blog

दाँत का दर्द

प्रस्तुति - मलय राय चौधरी