शांति
स्तब्ध, नि:शब्द, भावहीन
प्रस्तर-सम नयन -
नीरहीन।
शून्य को समर्पित दृष्टि,
दृष्यहीन।
कोप नहीं, द्वेष नहीं,
राग नहीं, वैराग्य नहीं
शोक नहीं और हास्य नहीं -
पूर्णत: संवेदनहीन।
और
ठीक समक्ष,
बैठी है वो,
देखती खुद को,
एक मुस्कुराहट,
अधरों पर लिए
मुख पर,
एक असीम शांति।
बंधनमुक्त, अवध्य,
अनंत की ओर
प्रस्थान को आतुर।
(24 - जून - 2020)
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